मंगलवार, 5 मई 2009

पिताजी

एक सुबह जब मैं हैदराबाद के नामपल्ली रेलवे स्टेशन पर था, पूरब में सूर्य अपने नए संदेशों के साथ सुबह होने की घोषणा कर रहा था कि मेरे जीवन में शाम होने की ख़बर आई।
मेरे बाबूजी जो कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे, अब नही रहे .........

बाबूजी का नही रहना लोगों के लिए एक सामान्य घटना थी, पर मैं सामान्य नही रहा। अब भी नही हूँ ......
पर तब और अब के असामान्यता में अन्तर है ...

1 टिप्पणी:

  1. आपके बाबूजी के बारे में.... मेरी दुआएं आपके साथ हैं।
    हिन्द युग्म पर टिपण्णी हेतु आभार। http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
    http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
    सस्नेह
    श्यामसखा‘श्याम

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