गुरुवार, 16 जुलाई 2009

जिंदगी और मैं

मैं मनमौजी मस्त बेफिक्र और खुशहाल। जिन्दगी गम्भीर व्यवस्थित चिंतनशील और परिश्रमी।
मैने जब भी जिंदगी को अपने साथ रखना चाहा वह मुकर गई और जिंदगी ने जब मुझे साथ रक्खा मैं दुृःखी हुआ। मेरी यायावर प्रवृत्ति मुझे दुःखी होने से बचा लेती है पर जिंदगी रोज रोज पीछे कहीं दूर छूटती जाती है।

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